बोल बम हिंदुओं द्वारा मनाई जाने वाली एक वार्षिक धार्मिक तीर्थयात्रा है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में भगवान शिव को समर्पित है। भक्त, जिन्हें कांवरिये के नाम से जाना जाता है, पवित्र नदियों से पवित्र जल इकट्ठा करने और शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिए यह यात्रा करते हैं।
बोल बम एक प्रमुख हिन्दी भजनी जगत्री है जो मुख्यतः उत्तर भारत में लोकप्रिय है। यह भजनी जगत्री कार्यक्रम भोलेनाथ (भगवान शिव) की भक्ति और पूजा के महीने श्रावण के महीने में आयोजित किया जाता है। श्रावण के महीने में, काँवड़िये के रूप में जाने जाने वाले भक्त अपने इष्टदेव की पूजा करने के लिए गंगा जल लेकर हरिद्वार, ऋषिकेश और देवप्रयाग सहित कई शिवालयों और स्थानों की यात्रा करते हैं।
बोल बम के दौरान कांवरियों द्वारा भोलेनाथ की भक्ति में विभिन्न प्रकार के भजन, कीर्तन और धार्मिक गीत गाए जाते हैं। इन भजनों में बोल बम शब्द का प्रयोग किया जाता है, जो एक प्रकार की धार्मिक धुन है और महादेव की महिमा गाने के लिए प्रयोग की जाती है। यह धुन अलग-अलग तालों और तिलकों में बजाई जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की स्तुति और पूजा करना है।
कांवरिए वे लोग होते हैं जो श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा करने के लिए अपने पसंदीदा शिवालय की यात्रा करते हैं। यह एक प्रकार का व्रत है जिसे कांवर यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। कांवर एक प्रकार का थैला होता है जिसे कांवरिए अपने कंधों पर रखकर भगवान शिव के दर्शन के लिए पैदल यात्रा करते हैं। ये कांवरिए पवित्र नदी गंगा या भगवान शिव के अन्य स्थानों से जल लाते हैं और इस जल को शिवालय में चढ़ाते हैं।
यह श्रावण मास यात्रा लाखों शिव भक्तों द्वारा की जाती है और इसे कांवर यात्रा के महीने के रूप में भी जाना जाता है। इस यात्रा के दौरान, कांवरिए विभिन्न पूजा और भक्ति अनुष्ठानों में भाग लेते हैं और गौरी गंगा से जल लेकर शिव मंदिर में चढ़ाते हैं। कांवरिए आमतौर पर संगठित तरीके से यात्रा करते हैं और इस दौरान धार्मिक संगठनों द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था की जाती है।
कांवरिया यात्रा में भाग लेने का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति, संगीत, नृत्य और पूजा का आनंद लेना है। यात्रा भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और भगवान शिव की महिमा और पूजा को दृढ़ता से दर्शाती है। कांवरिए संगीत के माध्यम से अपनी भक्ति और धार्मिक उत्साह व्यक्त करते हैं और शिव की कृपा और आशीर्वाद मांगते हैं। यात्रा भक्ति और समर्पण की एक अनूठी अभिव्यक्ति है और हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों को स्थापित करती है।

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